आज मोहब्बत ?
बिरहा राग मोहब्बत गाती भर गए बैन सदाओं में ...
हवस के हाथों लुटती देखी गलियों में और गाओं में
गुलशन बदले सहराओं में फूल जुनूं के सूख गये
भंवरे ने रस लूट लिया और ख़ुशबू उड़ी हवाओं में
रंग हिना के फीके पड़ गए होंट तबस्सुम भूल गये
अब्र बन गए आंसू सारे बरसे खूब घटाओं में
शिकरा हुए क़ैस और कोहकन कहाँ शहीद-ए-नाज़ गए
भटक रही है हैरां ,तन्हा रिसते छाले पाओं में
जहां मोहब्बत रहती थी अब आंसू मालिक बन बैठे
बिरहा राग सुनाती उल्फ़त भर गए बैन सदाओं में
संग बन गया जिस्म परिंदा उड़ गयी रूह हवाओं में
गलियों गलियों तांडव करती बाँध के घूँघरू पाओं में
गीत प्रेम के तड़प रहे हैं साज़-ए-उल्फ़त टूट गए
आज मोहब्बत फिर से रोई बिखरी चींख़ फ़ज़ाओं में
©प्रेम लता शर्मा....3/10/2015
बिरहा राग मोहब्बत गाती भर गए बैन सदाओं में ...
हवस के हाथों लुटती देखी गलियों में और गाओं में
गुलशन बदले सहराओं में फूल जुनूं के सूख गये
भंवरे ने रस लूट लिया और ख़ुशबू उड़ी हवाओं में
रंग हिना के फीके पड़ गए होंट तबस्सुम भूल गये
अब्र बन गए आंसू सारे बरसे खूब घटाओं में
शिकरा हुए क़ैस और कोहकन कहाँ शहीद-ए-नाज़ गए
भटक रही है हैरां ,तन्हा रिसते छाले पाओं में
जहां मोहब्बत रहती थी अब आंसू मालिक बन बैठे
बिरहा राग सुनाती उल्फ़त भर गए बैन सदाओं में
संग बन गया जिस्म परिंदा उड़ गयी रूह हवाओं में
गलियों गलियों तांडव करती बाँध के घूँघरू पाओं में
गीत प्रेम के तड़प रहे हैं साज़-ए-उल्फ़त टूट गए
आज मोहब्बत फिर से रोई बिखरी चींख़ फ़ज़ाओं में
©प्रेम लता शर्मा....3/10/2015
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