गज़ल
वो एक नूर का झरना है जो मचलता है ,किसी दिये सा मेरी जिंदगी में जलता है!
किसी के ग़म का धुआं रोज़ उड़ के आता है,
जो आंसुओं की तरह आँख में पिघलता है !
वो बस गया मेरी आँखों में ख़्वाब की सूरत ,
किसी ख्याल सा दिल में भी मेरे पलता है !
जो इक कदम ना चला साथ मेरे सहरा में,
उसी के साये में रहने को दिल मचलता है!
वो आसमां की तरह साथ जागता है मेरे,
हर इक सफ़र में मेरे साथ साथ चलता है!
वो ढल गया मेरे गीतों में इक तरन्नुम सा ,
वो दर्द बन के मेरे शेर में भी ढलता है !
है "प्रेम" इश्क की इक लौ जली हुई मुझ में
दिया फ़कीर की कुटिया में जैसे जलता है!