शनिवार, 16 मई 2015

aik qa'taa
सुकूत खत्म हो बातों का सिलसिला तो चले
विसाल-ओ-हिज्र का, वफ़ा का हो ,गिला तो चले
यह बज़्म-ए-यारां हैं क्यों क़ुफ़्ल सजा है लब पर...
इश्क़ की बात हो मजनूं का तज़करा तो चले
...
SUKOOT KHTAM HO BATON KA SILSILA TO CHALE
VISAAL-O-HIJR KA WFAA KA SILSILA TO CHALE
YEH BAZM-E-YARAAN HAI KYON QULPH SAJAA HAI LAB PAR
ISHQ KI BAAT HO MAJNU KA TAZKRA TO CHALE...

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