ग़ज़ल Sep 17, 2012
मिली सच बोलने की यह सज़ा है,
कि हर इक शख्स मुझसे ही ख़फा है!
मेरी हर आह पर कहती है दुनियां,
कि सच्चे प्यार का यह ही सिला है!
जियो कहकर किया तर्के-रिफाक़त
दुआ है या कोई यह बद्दुआ है
अदब सीखा है हमने क्यों वफ़ा का
उन्हें सब से बड़ा ये ही गिला है
दिया है “प्रेम” को हर जख्म जिसने
यह दिल अब तक उसे ही ढूँढता है
मिली सच बोलने की यह सज़ा है,
कि हर इक शख्स मुझसे ही ख़फा है!
मेरी हर आह पर कहती है दुनियां,
कि सच्चे प्यार का यह ही सिला है!
जियो कहकर किया तर्के-रिफाक़त
दुआ है या कोई यह बद्दुआ है
अदब सीखा है हमने क्यों वफ़ा का
उन्हें सब से बड़ा ये ही गिला है
दिया है “प्रेम” को हर जख्म जिसने
यह दिल अब तक उसे ही ढूँढता है
आपकी शायरी लाज़वाब है .... प्रेम लता जी ....बेहतरीन ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत ह्रदय की पुकार ...आदरणीय प्रेरणा जी ,आपके प्रेम के बोल हैं अनमोल ! सादर प्रणाम !
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