गज़ल
वो एक नूर का झरना है जो मचलता है ,किसी दिये सा मेरी जिंदगी में जलता है!
किसी के ग़म का धुआं रोज़ उड़ के आता है,
जो आंसुओं की तरह आँख में पिघलता है !
वो बस गया मेरी आँखों में ख़्वाब की सूरत ,
किसी ख्याल सा दिल में भी मेरे पलता है !
जो इक कदम ना चला साथ मेरे सहरा में,
उसी के साये में रहने को दिल मचलता है!
वो आसमां की तरह साथ जागता है मेरे,
हर इक सफ़र में मेरे साथ साथ चलता है!
वो ढल गया मेरे गीतों में इक तरन्नुम सा ,
वो दर्द बन के मेरे शेर में भी ढलता है !
है "प्रेम" इश्क की इक लौ जली हुई मुझ में
दिया फ़कीर की कुटिया में जैसे जलता है!
beht'reen gazal....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब .......... खूबसूरत अशआर ! बधाई !
जवाब देंहटाएं"इश्क की लौ है "प्रेम" मुझमें किसी सूफी की,
जवाब देंहटाएंदिया फ़कीर की कुटिया में जैसे जलता है!"
वाह प्रेम दी ! लाजवाब अश’आर
इश्क की लौ है "प्रेम" मुझमें किसी सूफी की,
जवाब देंहटाएंदिया फ़कीर की कुटिया में जैसे जलता है!
बहुत सुंदर .....
प्यारी माँ,
जवाब देंहटाएंप्रणाम!
बहुत ही सुन्दर है आपकी रचना!
आप के शब्द बड़े मनोहारी हैं!
प्यारी माँ,
जवाब देंहटाएंप्रणाम!
आज शिक्षक दिवस है!
माँ प्रारंभिक शिक्षक होती है!
मेरी खुश किस्मती है कि आप माँ के साथ साथ शिक्षिका भी रही हो!
मैं इस दिवस पर आपको और आपके शिक्षिका स्वरूप को नमन करता हूँ! माँ प्रणाम!
बहुत बहुत शुक्रिया देव ...जियो खुश रहो
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंजी प्यारी माँ,
हटाएंआपकी दुआ का आवरण सैदव मेरे सर पर,
रहता है! ईश्वर अवश्य हमे लम्बी आयु देंगे!
आपका ह्रदय से आभार!
आपकी दीर्घायु और कुशलता हेतु प्रकृति से प्रार्थना करता हूँ!