बुधवार, 5 सितंबर 2012

दिल

2 टिप्‍पणियां:

  1. प्यारी माँ,
    प्रणाम!
    बहुत ही अनमोल आपने लिखा है!
    सच ही आप अपने कलम से लिखती हैं!
    आपके शब्द बहुत अनमोल हैं!
    आपकी गजलें, अनुभूति के दिव्य वातावरण की भूमिका तैयार करती हैं!

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  2. प्रेर्नामयी भावों की सरिता में आपके मधुर बोल व् आशा दीप को जलाये रखने वाली आपकी प्रेरक कलम व् आपको सादर प्रणाम प्रेरिका प्रेम लता जी !

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