ग़ज़ल
अदाए हुस्न जब आवारा हुई!
वफाये इश्क तब आवारा हुई!
हयात-ओ मौत के के मसअले पर
जिंदगी बेसबब आवारा हुई!
ज़रब अपने रफू जो करने लगे,
तेग उनकी -गज़ब आवारा हुई!
आशनाई बनी जो दुश्मने जाँ,
आशिकी जाने कब आवारा हुई!
ना उम्मीदी के जख्म रिसने लगे,
कोशिशें सब की सब आवारा हुई!
दीदा-ए-तर छुपा ली पलकों में
दूदे दिल की कर्ब आवारा हुई!
शर्म से उसने डाली रुख पे नक़ाब,
देखने की तलब आवारा हुई !
यूँ कसे साज़े ज़िन्दगी के तार,
बजते बजते तरब आवारा हुई !
तिश्नगी हद से बढ़ गयी तब “प्रेम”
झील सी आँखें जब आवारा हुई!
ज़रब= जख्म कर्ब=व्याकुलता ,पीड़ा दुःख , दूदे-दिल =दिल का धुआं तरब=साज़ की मुख्य तार
वफाये इश्क तब आवारा हुई!
हयात-ओ मौत के के मसअले पर
जिंदगी बेसबब आवारा हुई!
ज़रब अपने रफू जो करने लगे,
तेग उनकी -गज़ब आवारा हुई!
आशनाई बनी जो दुश्मने जाँ,
आशिकी जाने कब आवारा हुई!
ना उम्मीदी के जख्म रिसने लगे,
कोशिशें सब की सब आवारा हुई!
दीदा-ए-तर छुपा ली पलकों में
दूदे दिल की कर्ब आवारा हुई!
शर्म से उसने डाली रुख पे नक़ाब,
देखने की तलब आवारा हुई !
यूँ कसे साज़े ज़िन्दगी के तार,
बजते बजते तरब आवारा हुई !
तिश्नगी हद से बढ़ गयी तब “प्रेम”
झील सी आँखें जब आवारा हुई!
ज़रब= जख्म कर्ब=व्याकुलता ,पीड़ा दुःख , दूदे-दिल =दिल का धुआं तरब=साज़ की मुख्य तार
dil ko chhoo g'ye aapke shaandaar ash'aar ....laazawaab gazal !!! great regards-Narain !!!
जवाब देंहटाएंbahut khoobsurat gazal
जवाब देंहटाएं