मंगलवार, 31 जनवरी 2012

दोस्त के नाम

                                              
मेरे गीतों ने किया है ये जो हंगामा ए दोस्त,
सारे आलम को बना डाला है दीवाना ए दोस्त !

इसके अल्फाज़ मेरे दिल मैं चुभे कांटे हैं,
बन गया गीत ये रोने का बहाना ए दोस्त !

अब हँसो या कि करो तंज कोई भी इन पर,
जिस तरह से भी हो ये रस्म निभाना ए दोस्त !

शाम  ढलते ही  छलक जाए  जो  आंसू तेरे,
राग मल्हार में तुम इनको सुनाना ए दोस्त !

हमने अब खोल दिया राज़ कुल्फ्ते गम का,
दिल में रख लेना बनाना न फ़साना ऐ दोस्त

 कभी अश्कों का जो पलकें ना साथ दे पायें,
ऐसे अश्कों को न पलकों से गिराना ए दोस्त !

जब भी अहसास की शिद्दत से मुझे जीना हो,
किसी मायूस को सीने से लगाना ए दोस्त !
चश्मे -पुरनम की हकीकत को जान जाओगे,
गैर अश्कों को भी पलकों पे सजाना ए दोस्त !

बड़ी मुश्किल से जलाई है प्रेम दिल की शम्मा,
ये शम्मा अब ना कभी दिल से बुझाना ए ! ...प्रेमलता


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